ये प्यास है बड़ी : 4 मई से महाराष्ट्र के रेड जोन में भी खुलेंगी शराब दुकानें, नाई-स्पाॅ-कैब पर पाबंदी



ये प्यास है बड़ी : 4 मई से महाराष्ट्र के रेड जोन में भी खुलेंगी शराब दुकानें, नाई-स्पाॅ-कैब पर पाबंदी


New Delhi : महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार ने रेड जोन में भी शराब की दुकानें खोलने का निर्णय लिया है। सरकार ने निर्णय लिया है कि 4 मई से शुरू हो रहे लॉकडाउन में ग्रीन और ऑरेंज जोन में ही नहीं रेड जोन में भी शराब की दुकानें खुलेंगी। हालांकि राज्य सरकार ने कंटेटमेंट जोन को इससे अलग रखा है। वैसे रेड जोन में नाई की दुकान और स्पा भी नहीं खुलेंगे। इतना ही नहीं रेड जोन में टैक्सी और कैब भी नहीं चलेंगी।
महाराष्ट्र सरकार ने रेड जोन में स्टैंडअलोन दुकानें खोलने की अनुमति देने का फैसला किया है। प्रत्येक लेन में केवल 5 गैर-आवश्यक दुकानें खोली जा सकती हैं। आवश्यक दुकानों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इतना ही नहीं रेड जोन में कोरियर और पोस्टल सेवाओं को भी अनुमति दी गई है।
महाराष्ट्र के पुणे स्थित सरकारी ससून जनरल अस्पताल को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुंसधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से गंभीर हालत में भर्ती मरीजों का इलाज प्लाज्मा पद्धति से करने की अनुमति दे दी है। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इस पद्धति में कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त हो चुके व्यक्ति के प्लाज़्मा को बीमार व्यक्ति के शरीर में चढ़ाया जाता है क्योंकि ठीक हो चुके व्यक्ति के रक्त में संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो चुकी होती हैं। संचारी लोग निवारण एवं नियंत्रण प्रौद्योगिकी समिति के अध्यक्ष डॉ.सुभाष सालुंखे ने बताया – हमे प्लाज्मा पद्धति से इलाज करने के लिए जरूरी आईसीएमआर की मंजूरी मिल गई है और दो तीन दिन में हम आगे का कदम उठाएंगे। कुल 35 संभावित प्लाज्मा दानकर्ताओं की सूची बनाई गई है और उनसे संपर्क किया जाएगा।
शराब दुकान पर भी सोशल डिस्टेन्सिंग अनिवार्य।
उन्होंने कहा – इन लोगों में निश्चित रूप से वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं और अब देखना है कि कितने प्लाज्मा दान करते हैं। प्लाज्मा लेने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले इन लोगों की दोबारा जांच की जाएगी। सालुंखे ने कहा – आईसीएमआर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि यह पद्धति कोविड-19 का इलाज नहीं है। हम इस पद्धति का इस्तेमाल गंभीर मरीजों के इलाज के आखिरी विकल्प के रूप में कर रहे हैं।

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