स्टूडेंट थे तो टीवी नहीं देखी, नये कपड़े नहीं खरीद पाते थे : आज दुनिया के सबसे ज्यादा सैलरी वाले CEO


स्टूडेंट थे तो टीवी नहीं देखी, नये कपड़े नहीं खरीद पाते थे : आज दुनिया के सबसे ज्यादा सैलरी वाले CEO


New Delhi : चेन्नई का वो लड़का नई शर्ट खरीदने से पहले भी कई बार सोचता था, क्योंकि उसे ऐसा लगता था कि ऐशो-आराम की चीजें खरीदने से कहीं उसे अपनी पढ़ाई की सामग्री से समझौता न करना पडे़। उसके जीवन में अगर परिवार के बाद कुछ था तो वो थी किताबें। पिता नौकरी जरूर करते थे लेकिन उनके दो कमरे के फ्लैट में टीवी नहीं थी सो उन्होंने स्टूडेंट रहते टीवी नहीं देखी। कार नहीं थी तो कार में कभी नहीं बैठे। और आज वो समय आ ही गया जब चेन्नई का यह लड़का दुनिया में सबसे ज्यादा सैलरी पानेवाला CEO बन गया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई की। सुंदर को 2019 में कुल 28.1 करोड़ डॉलर या 2,144.53 करोड़ रुपये की सैलरी मिली। यानी हर महीने करीब पौने दो सौ करोड़ रुपये।
सुंदर पिचाई को फुटबॉल और क्रिकेट काफी पसंद है। वे सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के फैन रहे हैं। सचिन के साथ उनकी एक खास फोटो
एक नियामक फाइलिंग में अल्फाबेट इंक ने खुलासा किया है कि 2019 के लिए उसके सीईओ सुंदर पिचाई की कुल मुआवजा राशि 280 मिलियन डॉलर से अधिक रही है, जिससे 47 वर्षीय भारत में जन्मे बिजनेस लीडर दुनिया में सबसे अधिक भुगतान वाले अधिकारियों में से एक हैं। मार्केटवाच की रिपोर्ट के अनुसार पिचाई जब गूगल के सीईओ बने थे तो उनकी सैलरी लगभग 200 मिलियन डॉलर के आसपास था। इसमें से अधिकांश हिस्सा स्टॉकिंग अवार्डस में थे। शुक्रवार को रिपोर्ट में कहा गया कि पिचाई के मुआवजे में उछाल मुख्य रूप से अल्फाबेट के सीईओ के रूप में उनकी पदोन्नति से बंधे स्टॉक अवार्डस के कारण हैं। अमेरिका की दिग्गज तकनीक कंपनी अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई को 2019 में कुल 28.1 करोड़ डॉलर या 2,144.53 करोड़ रुपये की सैलरी मिली।
अल्फाबेट ने जानकारी दी है कि इस साल उनका वेतन बढ़ कर 20 लाख डॉलर (15.26 करोड़ रुपये) हो जाएगी। पिचाई की सैलरी अल्फाबेट कर्मचारियों के औसत कुल वेतन के 1085 गुना है। बता दें सुंदर पिचाई 1972 में भारत के चेन्नई में जन्मे थे। पिचाई के सैलरी पैकेज का अधिकांश हिस्सा शेयरों में हैं, जिनमें से कुछ का भुगतान अमेरिकी शेयर बाजार सूचकांक एसएंडपी 100 इंडेक्स की अन्य कंपनियों के मुकाबले अल्फाबेट के स्टॉक रिटर्न के आधार पर किया जाएगा। अगर इस हिसाब से देखें तो उनका बतौर सैलरी भुगतान काफी कम ही रहेगा। 2019 में पिचाई की सैलरी 6.5 लाख डॉलर यानी करीब 5 करोड़ रुपये थी।
सुंदर स्वभाव से बेहद मिलनसार और सहज हैँ। उनमें दिखावा तो थोड़ा भी नहीं है। बच्चों और स्टूडेंटस के साथ तो दो मिनट में घुलमिल जाते हैं।
2018 गूगल सीईओ के पद पर रहते हुए पिचाई की बेसिक सैलरी 4.6 करोड़ रुपये रही थी, मगर अब इसमें 200 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2018 में उन्हें 19 लाख डॉलर यानी करीब 135 करोड़ रुपये का कुल वेतन मिला था, जिसमें 4.6 करोड़ रुपये की बैसिक सैलरी शामिल है। पिचाई को प्रदर्शन के आधार पर ही स्टॉक यूनिट दिया जाना तय किया गया था, जिसकी कुल कीमत 31.5 करोड़ रुपये है।
पिचाई ने हाल ही में 5 करोड़ रुपये भारतीय प्रवासी मजदूरों के लिये दान किये थे। चेन्नई में 1972 में जन्मे सुंदर पिचाई का मूल नाम पिचाई सुंदराजन है, लेकिन उन्हें सुंदर पिचाई के नाम से जाना जाता है। सुंदर पिचाई ने अपनी बैचलर डिग्री आईआईटी, खड़गपुर से ली है। उन्होंने अपने बैच में सिल्वर मेडल हासिल किया था। अमेरिका में सुंदर ने एमएस की पढ़ाई स्टैनडफोर्ड यूनिवर्सिटी से की और वॉर्टन यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। पिचाई को पेन्सिलवानिया यूनिवर्सिटी में साइबेल स्कॉलर के नाम से जाना जाता था।
IIT Khargpur के स्टूडेंटस के साथ टेक्नेलाजी डेवलपमेंट पर बात करते हुये
सुंदर पिचाई ने 2004 में गूगल ज्वाइन किया था। उस समय वे प्रोडक्ट और इनोवेशन ऑफिसर थे। सुंदर सीनियर वाइस प्रेसीडेंट (एंड्रॉइड, क्रोम और ऐप्स डिविजन) रह चुके हैं। फिर उन्हें गूगल का सीनियर वीपी (प्रोडक्ट चीफ) बनाया गया था। एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के डेवलपमेंट और 2008 में लांच हुए गूगल क्रोम में उनकी बड़ी भूमिका रही है। आर्थिक तंगी के दिनों में सुंदर पिचाई 1995 में स्टैनफोर्ड में बतौर पेइंग गेस्ट रहते थे। पैसे बचाने के लिए उन्होंने पुरानी चीजें इस्तेमाल कीं, लेकिन पढ़ाई से समझौता नहीं किया। वे पीएचडी करना चाहते थे लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें बतौर प्रोडक्ट मैनेजर अप्लायड मटीरियल्स इंक में नौकरी करनी पड़ी। प्रसिद्ध कंपनी मैक्किंसे में बतौर कंसल्टेंट काम करने तक भी उनकी कोई पहचान नहीं थी।
1 अप्रैल 2004 को वे गूगल में आये। सुंदर का पहला प्रोजेक्ट प्रोडक्ट मैनेजमेंट और इनोवेशन शाखा में गूगल के सर्च टूलबार को बेहतर बनाकर दूसरे ब्रॉउजर के ट्रैफिक को गूगल पर लाना था। इसी दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि गूगल को अपना ब्राउजर लांच करना चाहिए। इसी एक आइडिया से वे गूगल के संस्थापक लैरी पेज की नजरों में आ गए। इसी आइडिया से उन्हें असली पहचान मिलनी शुरू हुई। 2008 से लेकर 2013 के दौरान सुंदर पिचाई के नेतृत्व में क्रोम ऑपरेटिंग सिस्टम की सफल लांचिंग हुई और उसके बाद एंड्रॉइड मार्केट प्लेस से उनका नाम दुनियाभर में हो गया।

सुंदर ने ही गूगल ड्राइव, जीमेल ऐप और गूगल वीडियो कोडेक बनाए हैं। सुंदर द्वारा बनाए गए क्रोम ओएस और एंड्रॉइड एप ने उन्हें गूगल के शीर्ष पर पहुंचा दिया। एंड्रॉइड डिविजन उनके पास आया और उन्होंने गूगल के अन्य व्यवसाय को आगे बढ़ाने में भी अपना योगदान दिया। पिचाई की वजह से ही गूगल ने सैमसंग को साझेदार बनाया। प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में जब सुंदर ने गूगल ज्वाइन किया था, तो इंटरनेट यूजर्स के लिए रिसर्च किया, ताकि यूजर्स जो इन्स्टॉल करना चाहते हैं, वे जल्दी इन्स्टॉल हो जाए। हालांकि यह काम ज्यादा मजेदार नहीं था, फिर भी उन्होंने खुद को साबित करने के लिए अन्य कंपनियों से बेहतर संबंध बनाएं, ताकि टूलबार को बेहतर बनाया जाए। उन्हें प्रोडक्ट मैनेजमेंट का डायरेक्टर बना दिया गया। 2011 में जब लैरी पेज गूगल के सीईओ बने, तो उन्होंने तुरंत पिचाई को प्रमोट करते हुए सीनियर वाइस प्रेसीडेंट बना दिया था।

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