हारेगा कोरोना : भारत बायोटेक के साथ मिलकर ICMR बनायेगा कोरोना की दवाई-मोनोक्लोनल एंटीबॉडी


हारेगा कोरोना : भारत बायोटेक के साथ मिलकर ICMR बनायेगा कोरोना की दवाई-मोनोक्लोनल एंटीबॉडी

New Delhi : अब देश में कोरोना आपदा से भिड़ने के लिये व्यापक पैमाने पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तैयार किये जायेंगे। इससे कोरोना पीड़ितों का सीधा इलाज किया जायेगा। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने COVID-19 के खिलाफ लैब में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तैयार करने का फैसला किया है। कोरोना की इस स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने के लिये भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड साथ काम करेंगे। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने इस प्रोजेक्‍ट को मंजूरी दी है। सीएसआईआर ने न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनीशिएटिव फ्लैगशिप प्रोग्राम के तहत इसे मंजूरी दी है।
वैक्सीन और बायो-थेरेप्यूटिक्स की निर्माता भारत बायोटेक इसका नेतृत्‍व कर रही है। ये कंपनी 60 से अधिक देशों में अपने मेडिसिन, मेडिकल प्रोडक्‍ट की सप्‍लाई करती है। भारत बायोटेक की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि इस प्रोजेक्ट के तहत लैब में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तैयार की जायेंगी। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में बेहद कारगर साबित होंगी। इसके तहत स्वस्थ हो चुके कोरोना संक्रमित मरीजों से एंटीबॉडी ली जायेगी। आमतौर पर एक सप्ताह के बाद स्वस्थ हो चुके व्यक्तित के रक्त में ये एंटीबॉडी बनती है। उत्तम गुणवत्ता की एंटीबॉडी लेकर प्रयोगशाला में उनके उनके जीन के क्लोन तैयार किए जाएंगे। इस प्रकार ये एंटीबॉडी इस बीमारी से लड़ने के लिए एक बेहतर दवा के रूप में कार्य करेंगी। मूलत: यह उपचार प्लाज्मा थैरेपी से दो कदम आगे की प्रक्रिया है। एक बार सफल होने पर लैब में बड़े पैमाने पर एंटीबॉडी तैयार की जा सकती हैं। जबकि प्लाज्मा थैरेपी में प्लाज्मा की ज्यादा मात्रा में उपलब्धता ही मुश्किल है।

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