विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाने की योजना तैयार, पहले कामगार-स्टूडेंट आयेंगे, फिर बाकी लोग


विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाने की योजना तैयार, पहले कामगार-स्टूडेंट आयेंगे, फिर बाकी लोग


New Delhi : विमानन मंत्रालय विदेशों में फंसे हजारों भारतीयों को वापस लाने के प्लान पर काम कर रहा है। PM Modi ने इस बड़े निकासी प्लान को लेकर बुनियादी नियम तैयार कर दिये हैं। पीएम मोदी के फैसले के मुताबिक सबसे पहले श्रमिक वर्ग के लोगों को विशेष विमानों में जगह दी जाएगी। इसके बाद दूसरे देशों में फंसे स्टूडेंट्स का नंबर आएगा और फिर उन सभी लोगों को लाया जायेगा जो विदेश नौकरी करने या घूमने गए थे। हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि सबसे पहले भारतीय प्रवासी कार्यबल को लाया जाए।
इरान से वापस लाये गये भारतीय
एक बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि कैसे गरीब भारतीय प्रवासी कामगारों, जो अधिकतर गल्फ देशों में है, ने देश को आर्थिक संकट से निकलने में मदद की थी। जैसा कि 1998, जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया तो अमेरिका सहित दूसरे पश्चिमी देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने रिसर्जेंट इंडिया बॉन्ड को 2 अरब डॉलर जुटाने के लक्ष्य से जारी किया था और 4 अरब डॉलर मिले थे।
दो दशक बाद आज भी भारत के प्रवासियों का विशाल समूह घर पैसे भेजता है। 2019 में वर्ल्ड बैंक ने कहा था कि भारत प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले धन का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है। पिछले साल प्रवासियों ने करीब 82 अरब डॉलर भारत भेजा, इनमें से आधा पश्चिम एशिया के प्रवासी मजदूरों ने भेजा।
विदेश मंत्री की अच्छी भूमिका रही है अभी तक इस पूरे अभयान में।
पश्चिम एशिया के देशों में भारतीय मजदूरों की स्थिति खराब है। प्रॉजेक्ट्स रुकने की वजह से अधिकतर का रोजगार छिन गया है। केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गल्फ देशों को फोन करके कहा है कि भारतीय प्रवासियों का ध्यान रखा जाये। विदेशों में रह रहे 1.26 करोड़ भारतीयों में से 70 फीसदी 6 गल्फ देशों में ही हैं। संयुक्त अरब एमिरात में 34 लाख भारतीय रहते हैं। 26 लाख सऊदी अरब में है तो कुवैत, ओमान, कतर और बहरीन में 29 लाख भारतीय हैं।
गल्फ देशों में रह रहे भारतीयों के अलावा भारतीय दूतावासों को ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, रूस सिंगापुर, फिलिपींस सहित कई देशों में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स से अपील प्राप्त हुए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि केवल रूस में ही करीब 15 हजार भारतीय स्टूडेंट हैं।
एक अधिकारी ने कहा – यह जटिल काम होगा। विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास ऐसे लोगों की सूची तैयार करेंगे जो भारत वापस आना चाहते हैं। इसके बाद प्राथमिकता तैयार की जायेगी और संबंधित राज्यों से को सूचित किया जायेगा। भारत वापस आने पर सभी की स्क्रीनिंग की जायेगी। इससे तय किया जायेगा कि किसी को क्वारैंटाइन सेंटर भेजा जायेगा या सीधे अस्पताल।

प्रतीकात्मक तस्वीर
केंद्र सरकार ने अभी यह फैसला नहीं किया है कि प्रवासियों की निकासी कब शुरू की जाएगी। लेकिन टाइमिंग और किस जल्दी प्रवासी लाये जायेंगे यह काफी हद तक उनके गृह राज्य पर निर्भर करेगा। यदि किसी कर्मचारी का राज्य क्वारैंटाइन सेंटर की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है तो उसे लाना संभव नहीं होगा। इसलिए हाल ही में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा में कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने सभी से क्वारैंटाइन सेंटर और हॉस्पिटल बेड तैयार रखने को कहा था। केरल ने सबसे पहले कहा है कि वह अपने यहां आने वाले कम से कम 2 लाख प्रवासियों के लिए व्यवस्था करना जा रहे हैं।

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